गुरुवार, 30 मई 2013

आरती पत्नी परमेश्वरी की

-------रजत राजवंशी की रचना---------

आरती पत्नी परमेश्वरी की

अब तक तुमने राज किया है, 
तुम हो राजकुमारी 
तुमसे कभी न जीत सके हम, 
क्या औकात हमारी
अगर कहो तुम खड़े रहो तो 
खड़े रहें हर हाल
हुक्म अदूली कर दें कोई,
ऐसी नहीं मजाल
एक वक़्त 'गर खाना दो तो
दूजे वक़्त न मांगे
तुम कह दो उल्टा लटको तो
खुद को उल्टा टाँगे
पाँव दबाऊँ, कमर दबाऊँ
सर की मालिश कर दूं
हुक्म करो तो सारे घर का
झाड़ू पोंछा कर दूं
कपडे धोऊँ बर्तन माँजू -
भर दूं घर का पानी
तुम हो घर की देवी दुर्गा,
तुम लक्ष्मी महारानी
तुमसे ही घर स्वर्ग है मेरा,
मिलता दाना पानी
जय जय जय हे मेरी मालकिन,
हे पत्नी महारानी
----------रजत राजवंशी (योगेश मित्तल)-------------------



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