-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------
जब रिश्तों में हो दूरी
एक फोन बहुत है जरूरी
तुम फोन भी ना कर पाओ
ऐसी भी क्या मजबूरी
शुभ चिन्तक कोई तुम्हारा
तुम्हें याद करे दिन-रात
पर तुम हो इतने 'बीजी'
कर पाओ ना कोई बात
बिन बात किये ही बोलो
गुजरेगी उम्र क्या पूरी
जब रिश्तों में हो दूरी
एक फोन बहुत है जरूरी
तुम फोन भी ना कर पाओ
ऐसी भी क्या मजबूरी
जो अच्छे, दिल के सच्चे हैं
और तुमसे करते हैं प्यार
तुम उनकी करो उपेक्षा
ये अच्छा नहीं है यार
'गर छोड़ जाएँ वो दुनिया
हसरत रह जाये अधूरी
तब तुम भी यह सोचोगे
एक फोन बहुत था जरूरी
जब रिश्तों में हो दूरी
एक फोन बहुत है जरूरी
तुम फोन भी ना कर पाओ
ऐसी भी क्या मजबूरी
----------------------रजत राजवंशी----------------------- -------
जब रिश्तों में हो दूरी
एक फोन बहुत है जरूरी
तुम फोन भी ना कर पाओ
ऐसी भी क्या मजबूरी
शुभ चिन्तक कोई तुम्हारा
तुम्हें याद करे दिन-रात
पर तुम हो इतने 'बीजी'
कर पाओ ना कोई बात
बिन बात किये ही बोलो
गुजरेगी उम्र क्या पूरी
जब रिश्तों में हो दूरी
एक फोन बहुत है जरूरी
तुम फोन भी ना कर पाओ
ऐसी भी क्या मजबूरी
जो अच्छे, दिल के सच्चे हैं
और तुमसे करते हैं प्यार
तुम उनकी करो उपेक्षा
ये अच्छा नहीं है यार
'गर छोड़ जाएँ वो दुनिया
हसरत रह जाये अधूरी
तब तुम भी यह सोचोगे
एक फोन बहुत था जरूरी
जब रिश्तों में हो दूरी
एक फोन बहुत है जरूरी
तुम फोन भी ना कर पाओ
ऐसी भी क्या मजबूरी
----------------------रजत राजवंशी-----------------------
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YOGESH MITTAL,
C/o Raj
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G-8 Area, D.D.A. Market, HariNagar, NewDelhi--110064 Mobile-9899272303
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