--रजत राजवंशी की रचना---------
शादी की पच्चीसवीं वर्षगाँठ पर एक पति के कुछ शब्द
रोते पीटते लड़ते झगड़ते पच्चीस साल गुजारे
हरदम मुझको कहा नाकारा अब तो कह दो प्यारे ।
प्यारे कहकर मुस्काते तुम मीठी वाणी बोलो
मीठी वाणी से कानों में मिश्री सा रस घोलो ।
मैं हूँ तुम्हारा पालतू तोता तुम हो प्यारी मैना
रोज़ झगड़ते सुबहोशाम पर प्यार तो फिर भी है ना ।
मै हूँ तुम्हारा पागल प्रेमी तुम हो मेरी प्राण प्रिये
तुम क्या जानों, तुमने मुझ पर छोड़े कितने बाण प्रिये।
तेरे लिए मैंने ईश्वर से, लाखों खुशियाँ मांगी हैं
हर गम तुझसे दूर रहे, ये भी एक दुआ की है ।
अब तो इस घायल प्रेमी को मर जाने की आस प्रिये
बाईं आँख दबा दो अपनी रुक जाएगी सांस प्रिये।
----------रजत राजवंशी (योगेश मित्तल)-------------------
vkidk viuk gh
;ksxs'k feÙky
YOGESH MITTAL,
C/o Raj
Matching Centre, Shop No.26, Pocket--F,
G-8 Area, D.D.A. Market, HariNagar, NewDelhi--110064 Mobile-9899272303
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें