-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------
मस्ती के जो उसूल हैं उनको निभा के पी
एक बूँद भी ना बच सके, बोतल हिला के पी
साकी ना हो शराब ना हो, कोई गम नहीं
पानी से भरा जाम और पानी मिला के पी
पीने के जिक्र से ही हम मदहोश हो गए
जब होश आया तो सभी को सुला के पी
बोतल भी थी अकेली और हम भी थे अकेले
पीने के नाम पर एक महफ़िल बुला के पी
माँ-बीवी बहन बेटी रोटी को तरसते थे
पीना तो जरूरी था, सभी को रुला के पी
------------रजत राजवंशी----------------
posed by yogesh
https://www.facebook.com/yogesh.mittal.1654
मस्ती के जो उसूल हैं उनको निभा के पी
एक बूँद भी ना बच सके, बोतल हिला के पी
साकी ना हो शराब ना हो, कोई गम नहीं
पानी से भरा जाम और पानी मिला के पी
पीने के जिक्र से ही हम मदहोश हो गए
जब होश आया तो सभी को सुला के पी
बोतल भी थी अकेली और हम भी थे अकेले
पीने के नाम पर एक महफ़िल बुला के पी
माँ-बीवी बहन बेटी रोटी को तरसते थे
पीना तो जरूरी था, सभी को रुला के पी
------------रजत राजवंशी----------------
posed by yogesh
https://www.facebook.com/yogesh.mittal.1654
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें