-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------
दोस्तों, आज देश में कन्याओं के जन्म में जो कमी पैदा हो रही है,
उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं, जब देशों की सरकारें एक- एक
स्त्री को कई कई पति रखने की इजाजत दे देंगी, तब प्यार का भूखा
पुरुष स्त्री के चरणों का दास होगा और यदि तब कोई अपनी पत्नी
का इकलौता पति हुआ तो शायद यही कहेगा------
मैं अपनी पत्नी का इकलौता पति हूँ
हरदम पत्नी के चरणों में करता हूँ विश्राम
पत्नी की मर्जी से करता घर के सारे काम
पत्नी कहे जो साड़ी ला दो, ला देता हूँ साड़ी
पत्नी कहे जो गाडी ला दो, ला देता हूँ गाडी
पत्नी कहे बाज़ार चलो तो चल देता हूँ साथ
जो भी वो खरीदती उससे भर जाते मेरे हाथ
उसकी कृपा है मुझ पे इतनी, प्यार बहुत ही करती है
बेलन और झाडू का मुझ पर वॉर कभी ना करती है
जब भी गुस्सा आता है चप्पल से काम चलाती है
और अधिक गुस्सा आये तो घूंसे-लात चलाती है
पत्नी के गुस्से का मारा, पिट जाता हूँ मैं बेचारा
लेकिन फिर भी पत्नी का इकलौता पति हूँ मैं प्यारा
-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------
योगेश मित्तल
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