मंगलवार, 30 जुलाई 2013

घर से निकलो मुस्कुराते हुए

-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------
घर से निकलो मुस्कुराते हुए 
चेहरे पे हंसी हो, घर आते हुए 

जब भी आपको गुस्सा आये 
हर नन्हा बच्चा डर जाए 

गुस्सा करना ठीक नहीं 
सच है यह, कोई सीख नहीं 

गुस्से में आप लगते हैं बदसूरत 
मुस्कराइए तो लगेंगे खूबसूरत 
----------------------रजत राजवंशी------------------------------




योगेश मित्तल

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अच्छे और बुरों की पहचान कीजिये,

अच्छे और बुरों की पहचान कीजिये,
अच्छे दोस्तों को कुछ तो मान दीजिये।
यदि आपकी तरफ बढ़ाया है हमने हाथ,
कुछ बात आप मे भी है यह जान लीजिये।



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हमसे दोस्ती करें आप


-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------

हमसे दोस्ती करें आप, ज़रूरी तो नही,
दोस्ती करना, आपकी मजबूरी तो नही,
ज़िन्दगी एक जगह ठहरने न दो, ऐ दोस्त,
कहानी बनो, मगर ऐसी कि अधूरी तो नही।

योगेश मित्तल

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शनिवार, 20 जुलाई 2013

मैं अपनी पत्नी का इकलौता पति हूँ


-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------

दोस्तों, आज देश में कन्याओं के जन्म में जो कमी पैदा हो रही है, 
उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं, जब देशों की सरकारें एक- एक 
स्त्री को कई कई पति रखने की इजाजत दे देंगी, तब प्यार का भूखा 
पुरुष स्त्री के चरणों का दास होगा और यदि तब कोई अपनी पत्नी 
का इकलौता पति हुआ तो शायद यही कहेगा------ 

मैं अपनी पत्नी का इकलौता पति हूँ 
हरदम पत्नी के चरणों में करता हूँ विश्राम
पत्नी की मर्जी से करता घर के सारे काम
पत्नी कहे जो साड़ी ला दो, ला देता हूँ साड़ी
पत्नी कहे जो गाडी ला दो, ला देता हूँ गाडी
पत्नी कहे बाज़ार चलो तो चल देता हूँ साथ
जो भी वो खरीदती उससे भर जाते मेरे हाथ
उसकी कृपा है मुझ पे इतनी, प्यार बहुत ही करती है
बेलन और झाडू का मुझ पर वॉर कभी ना करती है
जब भी गुस्सा आता है चप्पल से काम चलाती है
और अधिक गुस्सा आये तो घूंसे-लात चलाती है
पत्नी के गुस्से का मारा, पिट जाता हूँ मैं बेचारा
लेकिन फिर भी पत्नी का इकलौता पति हूँ मैं प्यारा

-----------------रजत राजवंशी की रचना---------------- 

योगेश मित्तल

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मस्ती के जो उसूल हैं उनको निभा के पी



-----------------रजत राजवंशी की रचना----------------

मस्ती के जो उसूल हैं उनको निभा के पी 
एक बूँद भी ना बच सके, बोतल हिला के पी 
साकी ना हो शराब ना हो, कोई गम नहीं 
पानी से भरा जाम और पानी मिला के पी
पीने के जिक्र से ही हम मदहोश हो गए 
जब होश आया तो सभी को सुला के पी 
बोतल भी थी अकेली और हम भी थे अकेले 
पीने के नाम पर एक महफ़िल बुला के पी 
माँ-बीवी बहन बेटी रोटी को तरसते थे 
पीना तो जरूरी था, सभी को रुला के पी 

-------रजत राजवंशी (योगेश मित्तल)------------------


-योगेश मित्तल

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रविवार, 7 जुलाई 2013

बिटिया

बिटिया

-रजत राजवंशी की रचना----------------

अपनी बिटिया के लिए 
उसके जन्मदिन से पहले 

मेरी आँखों को रोशन कर रही है बाईस सालों से 
खुशी का रंग खिलता है उसी के गोरे गालों से 
मिठाई सारी हैं फीकी, मधुर आवाज़ से उसकी 
वो जब मुस्काती है, सारे दर्द मिट जाते हैं छालों से
जिया हूँ देखकर उसको, मैं सालोंसाल कुछ ऐसे 
कि दुःख की सारी बदली छंट गयी मेरे ख्यालों से 
कभी भूले से मैंने, 'गर गिराया आँख से आंसू 
तो बिटिया पोंछ देती है उसे अपने रूमालों से 

-------------रजत राजवंशी (योगेश मित्तल)-------------------

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शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

कुछ तो खबर दो कैसे हो तुम




----------------रजत राजवंशी की रचना----------------

कुछ तो खबर दो कैसे हो तुम 
सच में बड़े ही वैसे हो तुम 
हम चिंतित हैं, परवाह नहीं 
ऐसा भी गुस्सा ठीक नहीं 
हम विनती तुमसे करते हैं 
यह कोई तुमको सीख नहीं 
बतला दो अब क्यां हो गुमसुम 
कुछ तो खबर दो कैसे हो तुम 
सच में बड़े ही वैसे हो तुम 
कोई फोन नहीं मैसेज नहीं
चाहे तड़प तड़प मर जाएँ हम 
आँखें भी गीली मत करना 
चाहे रो रो निकल जाए ये दम 
कहो किसके ख्यालों में हो गुम
कुछ तो खबर दो कैसे हो तुम 
सच में बड़े ही वैसे हो तुम 

----------------------रजत राजवंशी-----------------------------


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